Sunday 2 September 2012

अमरता का एक रहस्य

किसी गाँव में एक वैद्य
रहता था जो यह दावा
करता था कि उसे अमरता
का रहस्य पता है। बहुत से
लोग उसके पास यह रहस्य
मालूम करने के लिए आते थे।
वैद्य उन सभी से कुछ धन ले
लेता और बदले में उनको कुछ
भी अगड़म-बगड़म बता
देता था। उनमें से कोई
यदि बाद में मर जाता था
तो वैद्य लोगों को यह कह
देता था कि उस व्यक्ति
को अमरता का रहस्य
ठीक से समझ में नहीं आया।
उस देश के राजा ने वैद्य के
बारे में सुना और उसको
लिवा लाने के लिए एक दूत
भेजा। किसी कारणवश दूत
को यात्रा में कुछ विलंब
हो गया और जब वह वैद्य
के घर पहुँचा तब उसे
समाचार मिला कि वैद्य
कुछ समय पहले चल बसा
था।
दूत डरते-डरते राजा के
महल वापस आया और उसने
राजा से कहा कि उसे
यात्रा में विलंब हो गया
था और इस बीच वैद्य की
मृत्यु हो गई। राजा यह
सुनकर बहुत क्रोधित हो
गया और उसने दूत को
प्राणदंड देने का आदेश दे
दिया।
च्वांग-त्जु ने दूत पर आए
संकट के बारे में सुना। वह
राजा के महल गया और
उससे बोला – “आपके दूत ने
पहुँचने में विलंब करके
गलती की पर आपने भी उसे
वहां भेजने की गलती की।
वैद्य की मृत्यु यह सिद्ध
करती है की उसे अमरता के
किसी भी रहस्य का पता
नहीं था अन्यथा उसकी
मृत्यु ही नहीं हुई होती।
रहस्य सिर्फ़ यही है कि
ऐसा कोई भी रहस्य नहीं
है। केवल अज्ञानी ही ऐसी
बातों पर भरोसा कर
बैठते हैं।“
राजा ने दूत को
क्षमादान दे दिया और
मरने-जीने की चिंता से
मुक्त होकर जीवन व्यतीत
करने लगा।

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