Monday 5 December 2011

बारह राजकुमारियाँ

बहुत समय पहले
की बात है।
किसी राज्य में एक
राजा शासन
करता था।
उसकी बारह
बेटियाँ थीं।
सभी बेहद सुंदर थीं।
मगर राजा के लिये
एक
बड़ी समस्या थी।
बारहों राजकुमारियों को रोज़
नयी जूतियाँ चाहिये
होती थीं क्योंकि रोज़
ही उनकी जूतियाँ पूरी तरह
से फटी होती थीं,
कुछ इस तरह से
कि लगता था कि कोई
सारे दिन या रात
भर जूतियाँ पहन कर
नाचा हो। राजा के
लाख पूछने पर
भी राजकुमारियाँ इस
का कारण
नहीं बताती थीं कि उन्हें
रोज़ जूते बदलने
की क्या आवश्यकता होती है
और
उनकी जूतियाँ रोज़
फट कैसे जाती हैं।
एक दिन राजा ने तंग
आ कर सारे देश में
ऐलान कर
दिया कि जो कोई
भी इस राज़ से
पर्दा उठा सकेगा,
उस
व्यक्ति को पुरस्कार
स्वरूप न सिर्फ़ उसके
पसंदीदा राजकुमारी से
शादी करने
का मौक़ा दिया जायेगा बल्कि उस
देश
का उत्तराधिकारी भी बना दिया जायेगा।
इस काम के लिये उस
व्यक्ति विशेष
को तीन दिन
का समय
दिया जायेगा और
अगर वो इस राज़ से
पर्दा उठाने में
असमर्थ
रहा तो उसका सर
धड़ से अलग कर
दिया जायेगा।
कई अन्य राज्यों से
अनेक राजकुमार
अपना अपना भाग्य
आज़माने आये। मगर
तीन दिन तक उन
राजकुमारियों के
साथ साथ रहने पर
भी वो इस बात
का पता नहीं कर सके
कि उन
राजकुमारियों को अपनी जूतियाँ बदलने
की ज़रूरत
क्यों होती है। इस
तरह अनेक
राज्कुमारों और
अनेक लोगों ने
अपनी जान गँवाई,
मगर
राजकुमारियों उस
राज़ पर
पर्दा पड़ा रहा।
उसी समय की बात है
जब एक अधेड़ उम्र
का सैनिक,
जो कि किसी जंग में
काफ़ी ज़ख़्मी हो चुका था,
उसी राज्य से गुज़र
रहा था। उसे जब
राजा के इस
अजीबोग़रीब
घोषणा और
पुरस्कार
का पता चला तो वो भी अपना भाग्य
आज़माने को मचल
पड़ा। उसी राज्य में
उसकी मुलाक़ात एक
बुढ़िया से हुई
जिसकी उसने मदद
की। बुढिया ने उससे
ख़ुश हो कर
कहा कि अगर तुम
सचमुच उन
राज्कुमारियों के
राज़ का पर्दाफ़ाश
करना चाहते
हो तो दो बातों का ध्यान
रखना। पहला ये
कि कभी भी उन
राजकुमारियों द्वारा दिया हुआ
कोई भी पेयपदार्थ
मत पीना और ये कोट
रख लो। इस कोट
को तुम जब
भी पहनोगे तो तुम
ग़ायब हो जाओगे।
तुम्हें तो कोई देख
नहीं पायेगा मगर
तुम सभी को देख
सकोगे।
तब वह सैनिक उस
बुढ़िया को धन्यवाद
कह और वह कोट ले
कर राजा के महल में
अपना भाग्य
आज़माने पहुँच गया।उस सैनिक
को राजा ने कई बार
चेतावनी दी और
अपने कार्य में सफ़ल न
होने पर अंजाम से
अवगत कराया मगर
सैनिक अपने निश्चय
पर दृढ़ रहा। तब
राजा ने उसे
राजकुमारियों के
कमरे से लगे एक कमरे
में तीन दिन बिताने
की व्यवस्था कर
दी। इस कमरे
का दरवाज़ा राजकुमारियों के
कमरे के साथ खुला हुआ
था।
शाम को खाना खाने
के बाद,
राजकुमारियों ने
उस सैनिक को अंगूर से
बनी शराब पीने के
लिये दी। सैनिक ने
वो शराब ले
तो ली मगर
बुढि़या की बात
याद करके उसे आँख
बचा कर फेंक दिया।
थोड़ी देर बाद
सैनिक अपने कमरे में
जा कर सोने
का नाटक करने
लगा और ज़ोर ज़ोर से
खर्राटे भरने लगा।
उसे सोता देख
सभी राजकुमारियाँ खुश
हो गईं। वो धीरे से
उठीं और उन्होंने
अपनी पोषाक बदल
कर सुंदर पोषाक
पहनी। फिर उन्होंने
जूतियाँ पहनी और
सभी राजकुमारियाँ फ़र्श
के एक गुप्त दरवाज़े से
निकल कर जाने
लगीं।
सैनिक ये सब एक आँख
भींचे देख रहा था।
जैसे
ही राजकुमारियाँ जाने
लगीं,
वो भी उठा और उसने
बुढ़िया की दी हुई
कोट पहन ली और
राजकुमारियों के
पीछे चल पड़ा। सबसे
छोटी राजकुमारी सबसे
पीछे चल रही थी।
गुप्त दरवाज़े से सुरंग
की ओर बढ़ते हुए,
सीढियों पर, सैनिक
का पैर
छोटी राजकुमारी की लंबी पोषाक
पर पड़ गया।
छोटी राजकुमारी घबरा गई
और कह
उठी कि उसकी पोषाक
को किसी ने पीछे से
खींचा है।
सभी राजकुमारियों ने
उसे
तसल्ली दी कि वह
कुछ और
नहीं बल्कि उसका वहम
है।
सुरंग में और नीचे
जाते-जाते,
सभी राजकुमारियाँ एक
चाँदी के बगीचे में
पहुँचीं। वहाँ फूल,
पत्ते, पेड़
आदि सभी चाँदी के
बने हुए थे। ये देख कर
सैनिक हैरान रह
गया।
बारहों राजकुमारियाँ वहाँ मिल
कर खूब नाचीं।
सैनिक ने
राजा को सबूत देने के
लिये उस बगीचे से एक
चाँदी की डाल
तोड़ी और अपने जेब में
रख ली। डाल के टूटने
से एक ज़ोर की आवाज़
आई जिसे सुन कर
छोटी राजकुमारी घबरा गई।
मगर फिर सभी ने
मिल कर उसे
समझाया कि वो उसका वहम
मात्र है।
सुरंग में और नीचे जाने
पर अब एक सोने
का बगीचा आया और
वहाँ भी राजकुमारियाँ मिल
कर खूब नाचीं। उस
सैनिक ने वहाँ के सबूत
के तौर पर एक सोने
की डाल तोड़ ली और
अपने जेब में रख ली।
आगे और जाने पर
इसी तरह एक हीरे
का बगीचा आया जहाँ फिर
से
राजकुमारियाँ मिल
कर नाचीं और सैनिक
ने वहाँ से भी एक
डाल तोड़ कर रख
ली। हर बार
डालों के टूटने
की आवाज़ से
छोटी राजकुमारी के
डर जाने पर उसे अन्य
राजकुमारियों ने
वहम का पाठ
पढ़ा दिया।
आगे जाने पर आख़िर में
एक बड़ी सी झील आई
जहाँ बारह सुंदर
नौकायें
प्रतीक्षा कर
रही थीं। हर
नौका में एक
राजकुमार था और
राजकुमारियाँ एक-
एक नौका में
चली गईं। सैनिक
भी छोटी राजकुमारी के
नौके में चढ़ गया।
नौके को खे रहे
राजकुमार ने संदेह
प्रकट किया कि आज
उसे नौका सामान्य
दिनों की अपेक्षा भारी लग
रही है, मगर आसपास
तो कोई
भी नहीं था। तब
राजकुमारी ने
कहा कि ये सिर्फ़
मौसम
की गर्मी का असर है
जो हवा की गर्मी और
उमस से
नौका भी भारी हो गई
है।
थोड़ी देर बाद
नौकायें एक किनारे
पर पहुँचीं। किनारे
पर एक सुंदर महल
था। महल के अंदर से
बाजों की आवाज़ आ
रही थी।
सभी राजकुमारियाँ नौकाओं
से उतर कर महल के
अंदर पहुँचीं और
वहाँ पहुँच कर वे
राजकुमारों के साथ
खूब नाचीं।
सारी रात इस तरह
नाचने से
उनकी जूतियाँ तार-
तार हो गईं। अंगूर
की शराब पीने और
लाजवाब
खाना खाने के बाद
राजकुमारियाँ नौकाओं
में बैठ कर अपने घर
लौटने लगीं। सैनिक
ने सबूत के रूप में
वहाँ से एक शराब
का गिलास
उठा लिया और
अपनी जेब में रख
लिया।
इस बार सैनिक
बड़ी राजकुमारी की नौका में
बैठा और सबसे पहले
दौड़ कर अपने कमरे में
पहुँच कर सोने
का फिर से नाटक
करने लगा।
राजकुमारियों ने
जब उसे अपने कमरे में
सोता पाया तो खूब
हँसीं और निश्चिंत
हो कर सोने
चली गईं।
इसी तरह सैनिक ने
तीनों रातों को राजकुमारियों का पीछा किया और
सबूत जमा किये।
चौथे दिन, सैनिक ने
राजा को पूरी कहानी सुनाई
और सबूत पेश किये।
अब
राजकुमारियाँ कोई
बहाना नहीं बना पाईं
और तब सैनिक ने
पुरस्कार स्वरूप
बड़ी राजकुमारी से
शादी कर ली और
बाद में एक
अच्छा राजा बन कर
बहुत दिनों तक राज
किया।

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