Saturday 3 December 2011

दो रोटी के खातिर सपने मेँ खोए तीन साधु(पंचतंत्र)

ज्ञान की खोज में एक बार
तीन साधु हिमालय पर
जा पहुंचे। वहां पहुंचकर
तीनों साधुओं को बहुत भूख
लगी। देखा तो उनके पास
तो मात्र
दो ही रोटियां थी। उन
तीनों ने तय किया कि वो भूखे
ही सो जाएंगे। ईश्वर जिसके
सपने में आकर रोटी खाने
का संकेत देंगे वो ही ये
रोटियां खाएगा।
ऐसा कहकर तीनों साधु
सो गए।
आधी रात को तीनों साधु उठे
और एक-दूसरे को अपना-
अपना सपना सुनाने लगे। पहले
साधु ने कहा- मैं सपने में एक
अनजानी जगह
पहुंचा वहां बहुत
शांति थी और वहां मुझे ईश्वर
मिले। और उन्होंने मुझे
कहा कि तुमने जीवन में
सदा त्याग ही किया है।
इसलिए ये रोटियां तुम्हें
ही खानी चाहिए।
दूसरे साधु ने कहा कि- मैंने
सपने में देखा कि भूतकाल में
तपस्या करने के कारण में
महात्मा बन गया हूं और
मेरी मुलाकात ईश्वर से
होती है और वे मुझे कहते हैं
कि लंबे समय तक कठोर तप
करने के कारण रोटियों पर
सबसे पहला हक तुम्हारा है,
तुम्हारे मित्रों का नहीं।
अब तीसरे साधु
की बारी थी उसने कहा मैंने
सपने में कुछ नहीं देखा।
क्योंकी मैने
वो रोटियां खा ली हैं। यह
सुनकर दोनों साधु क्रोधित
हो गए। उन्होंने तीसरे साधु
से पूछा- यह निर्णय लेने से
पहले तुमने हमें
क्यों नहीं उठाया? तब तीसरे
साधु ने कहा कैसे उठाता? तुम
दोनों तो ईश्वर से बातें कर
रहे थे। लेकिन ईश्वर ने मुझे
उठाया और भूखे मरने से
बचा लिया।
बिल्कुल सही कहा गया है
कि जीवन-मरण का प्रश्न
हो तो कोई किसी का मित्र
नहीं होता व्यक्ति वही काम
करता है जिससे उसका जीवन
बच सके।

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